Wednesday, October 28, 2009

बिहार में फूड प्रोसेसिंग उद्योग में लगेंगे 450 करोड़

बिहार में खाद्य प्रसंस्करण की इकाइयां लगाने को निजी निवेशकों ने रुचि दिखाई है। करीब 450 करोड़ रु. के निवेश प्रस्ताव आए हैं। निजी निवेशकों को लुभाने को उद्योग विभाग ने हाल ही में कई राज्यों में रोड-शो किए। विभाग को उम्मीद है कि उसके इन प्रयासों से राज्य में करीब 1500 करोड़ का निजी निवेश लाने में सफलता मिलेगी।
जानकारी के मुताबिक सबसे अधिक रुचि दिल्ली की धानुका पेस्टिसाइड्स ने दिखाई है। हाजीपुर एवं मुजफ्फरपुर में फ्रूट एंड वेजीटेबुल सेंटर के अलावा वेजीटेबुल प्रोसेसिंग यूनिट एवं एग्री माल स्थापित करने को 100 करोड़ रुपये के प्रस्ताव कम्पनी ने दिए हैं। कोलकाता की बिहार एग्रो प्रोजेक्ट्स ने भागलपुर में 75 करोड़ की लागत से फूड पार्क, दिल्ली की ईरा एग्रीटेक ने 84.70 करोड़ की लागत से एग्रो बिजनेस सेंटर तथा प्राइमरी प्रोसेसिंग सेंटर और यूपी के राधे श्याम कोल्ड स्टोरेज एवं फूड्स ने मधुबनी में 9.61 करोड़ की लागत से फ्रूट पल्प एवं जूस प्लांट लगाने का प्रस्ताव दिया है। बिहार के निजी निवेशकों ने भी रुचि ली है। इनमें हाजीपुर की राकेश ईटेबुल्स एवं पटना की आम्रपाली फूड्स प्रमुख फर्म हैं।
फूड प्रोसेसिंग यूनिट को बढ़ावा देने को सरकार ने वर्ष 2008 में नई नीति लागू की है जिसके तहत निवेशकों को 80 प्रतिशत वैट वापसी तथा 50 फीसदी कैपिटल सब्सिडी देने का प्रावधान है।
उद्योग विभाग ने निजी निवेशकों को आकर्षित करने को जून से सितंबर माह के बीच कोलकाता, बंगलोर, दिल्ली एवं वाराणसी में रोड शो किये। रोड शो के दौरान ही फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के 56 प्रस्ताव आए जिनकी समीक्षा की जा रही है। विभाग वैशाली एवं कटिहार में फूड पार्क की स्थापना करना चाहता है। इसके लिए निजी निवेशकों से संपर्क किया जा रहा है। विभाग निजी निवेशकों को 51 प्रतिशत शेयर देकर उन्हें मालिकाना हक भी देना चाहता है। फल एवं सब्जी उत्पादन में चीन के बाद भारत का स्थान सबसे ऊपर है। देश के कुल फल एवं सब्जी उत्पादन में बिहार का बड़ा योगदान है। इसी क्षमता को देख विभाग ने फूड प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने का बीड़ा उठाया है।

सूबे में नहीं लागू होगा बटाईदार कानून

डा.श्रीकृष्ण सिंह जयंती के अवसर पर मंगलवार को आयोजित एक समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट कहा कि जब पश्चिम बंगाल की मा‌र्क्सवादी सरकार भूमि सुधार के तहत बटाईदार कानून को लागू नहीं कर सकी तो बिहार में इसके लागू होने का सवाल ही नहीं पैदा होता। उन्होंने कहा कि सरकार श्री बाबू की जीवनी प्रकाशित कराएगी। उन्होंने कहा कि श्री बाबू स्वतंत्रता संग्राम के अप्रतिम योद्धा एवं प्रकाण्ड विद्वान थे। अपने संघर्ष और तप की बदौलत उन्होंने देश को आजाद कराया। श्री बाबू ने बिहार में विकास की नींव रखी। वे नायक थे, नई पीढ़ी को उनकी जीवनी से प्रेरणा लेनी चाहिये। सरकार श्रीकृष्ण सिंह की 125 वीं जयंती विस्तृत कार्यक्रम के साथ मनायेगी।
श्रीकृष्ण ज्ञान मंदिर और श्रीकृष्ण विज्ञान केन्द्र के तत्वावधान में आयोजित श्रीकृष्ण जन्म शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रीकृष्ण विज्ञान केन्द्र बच्चों की प्रतिभा को बढ़ा रहा है, जो सराहनीय है। श्रीकृष्ण विज्ञान केन्द्र के माध्यम से अंधविश्वास को दूर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 1500 साल पहले विश्व प्रसिद्ध खगोलशास्त्री आर्यभट्ट तारेगना में पैदा हुए थे और वे तारों की गणना करते थे। वे खगौल में खगोलीय घटनाओं का अध्ययन करते थे। श्री कुमार ने बताया कि सूर्यग्रहण के दौरान एक ब्राह्मण वैज्ञानिक ने बिस्किट खाने के लिए प्रोत्साहित किया और हमने खा लिया। इसपर विपक्षियों ने यह भ्रम फैलाया कि बिस्किट खाने से राज्य में अकाल पड़ गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वे समाज को जोड़ने का काम करते है, तोड़ने का नहीं। श्री बाबू से प्रेरणा लेकर बिहार को हमलोगों ने आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि पूरा देश बिहार का अनुकरण कर रहा है। सूचना के अधिकार के क्रियान्वयन का अनुकरण कांग्रेस शासित राज्यों में की जा रही है। श्री कुमार ने कहा कि साढ़े तीन वर्ष पूर्व जब राज्य में पंचायत और नगर निकाय चुनाव में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया तो लोग मजाक उड़ाया करते थे। आज केन्द्र सरकार ने यह निर्णय लिया है कि पूरे देश में पंचायत एवं नगर निकाय चुनाव में महिलाओं को पचास फीसदी आरक्षण दिया जाएगा।
डा.श्रीकृष्ण सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए संसदीय कार्य मंत्री श्री रामाश्रय प्रसाद सिंह ने कहा कि बटाईदारी कानून के बारे में बंदोपाध्याय कमेटी ने गलत अनुशंसाएं की हैं। श्री सिंह ने कहा कि राज्य को गौरवान्वित एवं विकसित करने का प्रयास श्रीकृष्ण बाबू के बाद नीतीश कुमार ने ही किया है। श्री बाबू के रास्ते पर चलकर वे बिहार का विकास कर रहे हैं। कांग्रेस विधायक दल के नेता डा. अशोक कुमार ने कहा कि श्रीबाबू 50 वर्ष आगे की सोचते थे। श्री बाबू ने अपने अनुभव के आधार पर बटाईदारी कानून की बात रखी थी, अगर ये योजना उस वक्त लागू होती तो नक्सलवाद की समस्या नहीं आती। श्रीकृष्ण विज्ञान केन्द्र के अध्यक्ष श्री एलपी शाही ने कहा कि अन्य राज्यों की तरह हमें अपनी सांस्कृतिक परंपरा को अक्षुण्ण रखना होगा। श्री शाही ने कहा कि डा. श्रीकृष्ण सिंह की बायोग्राफी लिखने वालों को एक लाख का पारितोषक दिया जाएगा। पूर्व मंत्री विश्वमोहन शर्मा ने श्री बाबू को युगद्रष्टा बताया।

Monday, October 12, 2009

जमीन पर नहीं उतरे 96 हजार करोड़ के प्रस्ताव

बिहार के पिछड़ेपन को बहुत हद तक मिटा देने के लिए काफी माने गए निजी निवेश के करीब 96,000 करोड़ रुपये के प्रस्ताव जमीन पर नहीं उतर पाए। मुख्य रूप से ऊर्जा एवं कृषि के क्षेत्र में आए इन प्रस्तावों को दो साल पूर्व ही राज्य निवेश प्रोत्साहन पर्षद की मंजूरी मिल चुकी है। पिछले साल दो चीनी मिलों में रिलायंस और एचपीसीएल के लगे 600 करोड़ रुपये के अलावा अब तक ठोस निजी निवेश के रूप में प्रदेश में कोई अन्य राशि नहीं आयी है। आधारभूत संरचना की कमी और प्रशासनिक तंत्र की शिथिलता इसके लिए प्रमुख कारण माने जा रहे हैं।
राज्य सरकार ने सत्ता संभालते ही आधारभूत संरचना के विकास के लिए अलग से एक कानून-'बिहार इंफ्रास्ट्रक्चर एनेब्लिंग एक्ट', बनाया। इस कानून के तहत वर्ष 2007 में इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप्मेंट आथरिटी का गठन किया। आईडीए को निजी निवेशकों को हर प्रकार की मदद के अलावा उन्हें भूमि उपलब्ध कराने के लिए 'लैंड बैंक' बनाना है। लेकिन अब तक लैंड बैंक के पास एक एकड़ जमीन भी उपलब्ध नहीं हो सकी है। अफसरशाही की शिथिलता के कारण ही निवेशकों के लिए सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'सिंगल विंडो सिस्टम' लागू नहीं हो पायी है। आईडीए को आज तक पूर्णकालिक प्रबंध निदेशक भी नहीं मिला है। उद्योग विभाग से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि निजी निवेशकों ने दो साल पूर्व प्रदेश में निवेश के प्रति रुचि दिखाई। सुनील मित्तल,आनंद महिंद्रा जैसे कई बड़े उद्योगपति स्वयं मुख्यमंत्री से मिलने आए। लेकिन इस मौके का लाभ अफसरों ने उठाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। उद्योगों के लिए सबसे अहम आधारभूत संरचना समझी जाने वाली सड़क और बिजली की स्थिति दुरुस्त नहीं की जा सकी है।
केन्द्र की नीतियों का भी प्रदेश में निवेश पर काफी प्रभाव पड़ा है। नेफ्था एवं इथनाल की इकाई लगाने की केन्द्र ने मंजूरी नहीं दी। राज्य सरकार ने बिजली संकट दूर करने के लिए अपनी थर्मल इकाई लगाने की योजना बनायी है, जिसे केंद्र से अब तक 'कोल-लिंकेज' की सुविधा नहीं मिल रही है। परन्तु, बिजली का संकट दूर करने के लिए आए अन्य प्रस्ताव तो प्रदेश की अफसरशाही की ही नजर हो गए। 'सोलर इनर्जी' से सचिवालय सहित अन्य सरकारी दफ्तरों में बिजली सप्लाई का प्रस्ताव ऊर्जा विभाग में धूल चाट रहा है। सोलर इनर्जी के कारण थर्मल बिजली का बड़ा हिस्सा बचाया जा सकता था, जिससे सिंचाई जैसे महत्वपूर्ण कार्य लिए जा सकते हैं। नक्सल गतिविधियां पर नियंत्रण न पाना भी एक अड़चन है। इसके कारण औरंगाबाद एवं गया जैसे जिलों में काफी जमीन रहने के बावजूद उसका अधिग्रहण नहीं किया जा रहा। गया में तो टेकारी के निकट पुराना हवाई अड्डा वैसे ही बेकार पड़ा है। उद्योग विभाग ने खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए दक्षिण भारत के कुछ शहरों में पिछले माह रोड-शो आयोजित किये थे। उत्साहित विभाग को 1500 करोड़ के निजी निवेश की उम्मीद है।

Wednesday, May 13, 2009

कोसी प्रकरण पर प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री से की फोन पर बात

May 13
कोसी पीड़ितों की सहायता राशि के रूप में दी गयी एक हजार करोड़ रुपये की वापसी के केन्द्र के फरमान और उसपर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रतिक्रिया के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को फोन मिलाकर श्री कुमार से बात की। प्रधानमंत्री ने कहा कि केन्द्रीय कैबिनेट सचिव को मुख्य सचिव द्वारा भेजा गया पत्र प्राप्त हो गया है, वे पूरे मामले पर फिर से विचार करेंगे।
राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद मुख्यमंत्री से इससे जुड़े सवाल पर कहा कि जब प्रधानमंत्री को कुछ महसूस हुआ होगा तभी तो उन्होंने पुनर्विचार की बात कही है। अपेक्षा है कि प्रधानमंत्री गंभीरता पूर्वक विचार करते हुए जल्द निर्णय करें। अपने इसी कार्यकाल के भीतर। वरना इतिहास देखेगा कि केन्द्र का रवैया बिहार के प्रति ठीक नहीं था। श्री कुमार ने कहा कि कोसी राहत मसले पर हमने केन्द्र के पत्र का प्रतिवाद किया है। केन्द्रीय आपदा मंत्रालय ने कई बैठकों का हवाला देते हुए राहत राशि की वापसी की बात कही है। यह फरमान केन्द्र सरकार का है, सिर्फ आपदा मंत्रालय का नहीं। बिहार मसले पर एकाउंट की गणना सही तरीके से नहीं की गयी है। जिस एकाउंट का केन्द्र ने हवाला दिया है, मुख्य सचिव ने इस सिलसिले में सीएजी को पत्र लिखा है और एजी बिहार को बुलाकर बात की है। मेरे पास पैसे नहीं हैं। कोसी पीड़ितों के राहत मद में काफी खर्च किए गए हैं। 2007 में भी केन्द्र ने आपदा मद में खर्च की गयी राशि की भरपाई नहीं की। प्रधानमंत्री को बिहार के हक का ख्याल रखना चाहिए। उन्होंने खुद राष्ट्रीय आपदा की घोषणा की थी। कोसी पर प्रधानमंत्री के पुन: साफ्ट कार्नर और उसके राजनीतिक निहितार्थ से जुड़े सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी प्रकार का कयास लगाने की जरूरत नहीं है। कोसी पीड़ितों को हक दिलाना सब की जिम्मेदारी है। इस मामले में निर्णय होना चाहिए। यहां सिर्फ आपदा राहत नहीं, पुनर्वास और पुनर्निर्माण की आवश्यकता है। सड़क, कैनाल आदि बुरी तरह ध्वस्त हो गए हैं। सामान्य योजना से इसे पूरा नहीं किया जा सकता। यह सुनामी से कम नहीं था। प्रति परिवार डेढ़ लाख रुपये की दर से घर के लिए मांग की गयी थी। सुनामी पीड़ितों के लिए एक लाख रुपये के हिसाब से मिले थे। इस बीच सामग्री के दाम बढ़ गए हैं। फिर भी हम एक लाख रुपये की दर से राशि लेने पर सहमत हैं।

Saturday, April 11, 2009

Leader looted Bihar for last 20 years- Sonia Gandhi says

20 साल में बर्बाद हो गया बिहार
Apr 12, 01:58 am
जमुई। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को यहां अपनी जनसभा में नीतीश सरकार पर जमकर प्रहार करते हुए उनके धर्मनिरपेक्षता के दावे पर सवाल खड़े किए। उन्होंने भाजपा, विशेषकर राजग के प्रधानमंत्री पद के दावेदार आडवाणी पर भी निशाना साधा और कहा उनके गृह मंत्रित्वकाल में कई बड़ी आतंकी घटनाएं हुई। तीसरे मोर्चे के अस्तित्व को सोनिया ने यह कहकर नकार दिया कि आजकल मोर्चा खोलने का नया फैशन चल पड़ा है। उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कहा कि पिछले दो दशकों में बिहार पूरी तरह से बर्बाद हो गया है।
जमुई के गादी-कटौना मैदान पर दोपहर तेज धूप में जनसभा को संबोधित करते हुए सोनिया ने कहा कि राज्य सरकार को केन्द्र सरकार ने 2.25 लाख शिक्षकों की बहाली, 13 हजार स्कूल भवनों एवं 14 लाख इंदिरा आवास के निर्माण के अलावा 20 हजार गांवों तक बिजली पहुंचाने के लिए राशि दी। परन्तु नतीजा सभी को मालूम है। राशि का कितना उपयोग हुआ, किसी से छुपा नहीं है।

Friday, April 10, 2009

This time Pappu will vote for Bihar

परदेसी नहीं बनेंगे पप्पू, वोट देने जा रहे गांव

Apr 10, 08:08 pm
नई दिल्ली, [संजय सलिल]। संतनगर के चंदन विहार की गली नंबर तीन के मकान नं 31 में रहने वाले अरविंद कुमार सिंह ऐसे 'परदेसी पप्पू' है, जो रोजी-रोटी के चक्कर में दिल्ली आने के बाद आज तक गांव में लोकतंत्र के महापर्व लोकसभा चुनाव में भागीदारी नहीं निभाई। इस बार लोकसभा चुनाव में वोट डालने के लिए गांव गए हैं। वह साथ में पत्नी सुशीला को भी ले गए हैं। वह वोट डालने बेगूसराय के गांव बखरी चले गए? दरअसल यह दैनिक जागरण द्वारा चलाए जा रहे 'जनजागरण' अभियान का कमाल है कि वह वोट डालने के लिए ट्रेन पर चढ़ बैठे।
अरविंद सालों से दैनिक जागरण के नियमित पाठक रहे हैं। ऐसे में अखबार के जनजागरण अभियान ने उन पर खासा असर डाला है। वह कहते हैं कि वह जब से दिल्ली आए हैं, तब से न गांव में और न दिल्ली में वोट डाला है। दैनिक जागरण के जनजागरण अभियान ने उन्हें बहुत प्रभावित किया है। वह कहते हैं कि अब गांवों में भी काफी तब्दीली आ गई है। वहां भी लोग जागरूक हो रहे हैं। जागरण का यह अभियान लोगों को मताधिकार के प्रति न केवल जागरूक कर रहा है, बल्कि उन्हें सही प्रतिनिधि चुनने के लिए प्रेरित भी कर रहा है। अरविंद भी इस अभियान से प्रेरित होकर गांव में 30 अप्रैल को होने वाले लोकसभा चुनाव में पत्नी के साथ वोट डालेंगे।
अशोक विहार में रहने वाले श्याम चंद्र ठाकुर भी लोकसभा चुनाव में वोट डालने गांव जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि वह साल में एक बार छठ पर्व में गांव जाते थे। इस बार वह केवल वोट डालने के लिए ही गांव जा रहे हैं। जब गांव में रहते थे तो अपने मताधिकार का प्रयोग किया करते थे। दिल्ली आने के बाद कई बार लोकसभा व विधानसभा चुनाव हुए, लेकिन उन्होंने कभी गांव जाकर मतदान करने के बारे में सोचा ही नहीं। इस बार उन्हें दैनिक जागरण के जनजागरण अभियान ने बहुत कुछ सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। वह कहते हैं कि वह भारत के नागरिक हैं। ऐसे में उन्हें अपने वतन के बारे में भी सोचना चाहिए। वह देश को तभी उन्नति करते देख सकते हैं जब इसका नेतृत्व सही लोगों के हाथ में होगा। ऐसे में वोट का अधिकार के रूप में उनके पास ऐसा हथियार है जिसके बल पर देश का नेतृत्व मजबूत हाथों में सौंप सकते हैं। यह अभियान लोकतंत्र को मजबूत करने में बड़ी भूमिका निभा रहा है।

Thursday, April 9, 2009

सूरजभान की राजनीतिक पारी पर भी ब्रेक

Apr 09, 01:38 am
पटना। लोजपा सांसद सूरजभान सिंह उर्फ सूरजभान की राजनीतिक पारी पर भी ब्रेक लग गई। पटना उच्च न्यायालय ने बुधवार को उनकी उम्र कैद की सजा पर रोक लगाने की याचिका खारिज कर दी। सूरजभान अब लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। विदित हो कि इसके पूर्व उम्र कैद की सजा पाये सांसद शहाबुद्दीन, पप्पू यादव एवं विधायक देव नाथ यादव की याचिका भी खारिज की जा चुकी है।
'दोषी साबित हुआ तो छोड़ दूंगा राजनीति'
नवादा। सोमवार को देर रात निर्दलीय प्रत्याशी अखिलेश सिंह के समर्थक की हत्या के मामले में नामजद अभियुक्त बने सांसद सूरजभान को पुलिस ने बुधवार को घंटों पूछताछ के बाद राहत दे दी है। पुलिस से राहत मिलने के बाद होटल में ही सांसद ने कहा कि मैं हत्या की राजनीति नहीं करता। मधुरेश की हत्या में मेरी संलिप्तता उजागर हुई तो राजनीति से संन्यास ले लूंगा।
एसपी निशांत कुमार तिवारी ने बताया कि उन्हें निजी मुचलके पर छोड़ा गया है। पुलिस की शुरुआती जांच में घटनास्थल पर सांसद की मौजूदगी नहीं पायी गयी। हालांकि षडयंत्र में भूमिका की जांच जारी रहेगी। शुरुआती जांच में पुलिस के क्लीन चिट दिये जाने के साथ ही पिछले 36 घंटे से जारी इस ड्रामे का पटाक्षेप हो गया।
उल्लेखनीय है सोमवार की रात वारिसलीगंज थाना क्षेत्र के कोचगांव गांव में मधुरेश कुमार नामक युवक की हत्या कर दी गयी थी। इस मामले में सांसद सूरजभान उनके भाई ललन सिंह व स्थानीय कुटरी पंचायत के मुखिया अंजनी सिंह को नामजद अभियुक्त बनाया गया था। प्राथमिकी में अभियुक्त बने सांसद को नवादा पुलिस ने बुधवार की सुबह होटल राजश्री में ही रोके रखा था। नगर थानाध्यक्ष अरुण कुमार तिवारी व वारिसलीगंज के इंस्पेक्टर सह अनुसंधानकर्ता उपेन्द्र शाह ने एसपी के निर्देश पर सांसद से लंबी पूछताछ की। गवाहों के बयान भी लिये गये। देर शाम पुलिस ने प्राथमिकी को झूठा पाते हुए सांसद व उनके सहयोगियों को क्लीन चिट दे दी। वैसे एसपी ने कहा कि षड्यंत्र में सांसद की कितनी भूमिका है इसकी जांच होगी। एसडीपीओ सदर ए.के.सत्यार्थी ने कहा कि ऐसा नहीं है कि अनुसंधान पूरा हो गया है और सभी को क्लीनचिट दे दी गयी है। साक्ष्य मिलने के बाद किसी दोषी को बख्शा नहीं जायेगा।

(SOURCE: in.jagran.yahoo.com)

Why Was Jesus Crucified?A historical perspective.By Larry HurtadoPosted Thursday, April 9, 2009, at 6:31 AM ET

Also in Slate: Patton Dodd looks at gory Passion plays, and Michael Sean Winters gives a behind-the-scenes look at the work that goes into Holy Week at a Catholic cathedral.
A central statement in traditional Christian creeds is that Jesus was crucified "under Pontius Pilate." But the majority of Christians have only the vaguest sense what the phrase represents, and most non-Christians probably can't imagine why it's such an integral part of Christian faith. "Crucified under Pontius Pilate" provides the Jesus story with its most obvious link to larger human history. Pilate was a historical figure, the Roman procurator of Judea; he was referred to in other sources of the time and even mentioned in an inscription found at the site of ancient Caesarea in Israel. Linking Jesus' death with Pilate represents the insistence that Jesus was a real person, not merely a figure of myth or legend. More than this, the phrase also communicates concisely some pretty important specifics of that historical event.
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For one thing, the statement asserts that Jesus didn't simply die; he was killed. This was a young man's death in pain and public humiliation, not a peaceful end to a long life. Also, this wasn't a mob action. Jesus is said to have been executed, not lynched, and by the duly appointed governmental authority of Roman Judea. There was a hearing of some sort, and the official responsible for civil order and Roman peace and justice condemned Jesus. This means that Pilate found something so serious as to warrant the death penalty.
Related in Slate
Larry Hurtado examined how early Christians grappled with the concept of resurrection. Hurtado, John Kloppenborg, and Alan Segal discussed the historical truth of the Gospels. Daniel Engber explained why Easter and some other Christian holidays move around on the calendar, and Brian Palmer wrote that "Jesus" was a common name in the first century.
But this was also a particular kind of death penalty. The Romans had an assortment of means by which to carry out a judicial execution; some, such as beheading, were quicker and less painful than crucifixion. Death by crucifixion was reserved for particular crimes and particular classes. Those with proper Roman citizenship were supposed to be immune from crucifixion, although they might be executed by other means. Crucifixion was commonly regarded as not only frighteningly painful but also the most shameful of deaths. Essentially, it was reserved for those who were perceived as raising their hands against Roman rule or those who in some other way seemed to challenge the social order—for example, slaves who attacked their masters, and insurrectionists, such as the many Jews crucified by Roman Gen. Vespasian in the Jewish rebellion of 66-72.
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So the most likely crime for which Jesus was crucified is reflected in the Gospels' account of the charge attached to Jesus' cross: "King of the Jews." That is, either Jesus himself claimed to be the Jewish royal messiah, or his followers put out this claim. That would do to get yourself crucified by the Romans.
Indeed, one criterion that ought to be applied more rigorously in modern scholarly proposals about the "historical Jesus" is what we might call the condition of "crucifiability": You ought to produce a picture of Jesus that accounts for him being crucified. Urging people to be kind to one another, or advocating a more flexible interpretation of Jewish law, or even condemning the Temple and its leadership—none of these crimes is likely to have led to crucifixion. For example, first-century Jewish historian Flavius Josephus tells of a man who prophesied against the Temple. Instead of condemning him, the governor decided that he was harmless, although somewhat deranged and annoying to the Temple priests. So, after being flogged, he was released.
The royal-messiah claim would also help explain why Jesus was executed but his followers were not. This wasn't a cell of plotters. Jesus himself was the issue. Furthermore, Pilate took some serious flak for being a bit too violent in his response to Jews and Samaritans who simply demonstrated vigorously against his policies. Pilate probably decided that publicly executing Jesus would snuff out the messianic enthusiasm of his followers without racking up more Jewish bodies than necessary.
(source:www.in.com)

Wednesday, April 8, 2009

Dhoni is Captain of Wisden Test Eleven



धौनी विजडन टेस्ट इलेवन के कप्तान
Apr 08, 07:47 pm
लंदन। क्रिकेट जगत की बाइबिल विजडन ने बुधवार को वीरेंद्र सहवाग को 2008 का दुनिया का अग्रणी क्रिकेटर नामित किया और महेंद्र सिंह धौनी को अपनी ड्रीम टेस्ट इलेवन का कप्तान बनाया जिसमें पांच भारतीय शामिल है।
भारत की शानदार फार्म विजडन की पहली ड्रीम इलेवन में साफ झलकती है जिसमें सहवाग, धौनी, सचिन तेंदुलकर, हरभजन सिंह और जहीर खान शामिल है। टेस्ट टीम में भारत के सर्वाधिक खिलाड़ी है। इसके बाद आस्ट्रेलिया [रिकी पोंटिंग और मिशेल जॉनसन] तथा दक्षिण अफ्रीका [ग्रीम स्मिथ और डेल स्टेन] के दो-दो खिलाड़ियों को इसमें जगह दी गई है। बल्लेबाज केविन पीटरसन एकादश में इंग्लैंड के अकेले खिलाड़ी है जबकि वेस्टइंडीज की नुमाइंदगी रन मशीन शिवनारायण चंद्रपाल करेंगे। स्मिथ को उप कप्तान बनाया गया है।
पूर्व भारतीय कप्तान रवि शास्त्री, वेस्टइंडीज के पूर्व तेज गेंदबाज इयान बिशप और न्यूजीलैंड के पूर्व विकेटकीपर इयान स्मिथ ने इस टीम का चयन किया। विजडन ने कहा है कि चयन का मानदंड सरल था, टेस्ट मैच में सर्वश्रेष्ठ एकादश खेलेगी चाहे विरोधी कोई भी हो। 2008 के प्रदर्शन, साल में उन्होंने कितनी टेस्ट क्रिकेट खेली, विरोधी टीम की ताकत तथा फार्म को ध्यान में रखा गया।
सहवाग को इसके अलावा वर्ष का अग्रणी क्रिकेटर भी चुना गया। इसे 2004 में शुरू किया गया था और सहवाग इसमें शामिल होने वाले छठे खिलाड़ी है। उनसे पहले रिकी पोंटिंग, शेन वार्न, एंड्रयू फ्लिंटॉफ, मुथैया मुरलीधरन और जैक्स कालिस को अग्रणी क्रिकेटर चुना गया था। विजडन के अनुसार वीरेंद्र सहवाग ने 2008 का विश्व का अग्रणी क्रिकेटर बनने के लिए ग्रीम स्मिथ की कड़ी चुनौती को पार किया। सहवाग टेस्ट पारी का आगाज करने की चुनौती को एक नए स्तर पर ले गए। इसमें कहा गया है कि उन्होंने जो चाहा अक्सर उसे हासिल किया। किसी भी अन्य बल्लेबाज की तुलना में सबसे तेज रन बनाकर पहली गेंद से उन्होंने मानसिक दबदबा बनाए रखा और टेस्ट क्रिकेट में नियमित आधार पर ऐसा किया।
टेस्ट एकादश में सहवाग के सलामी जोड़ीदार के लिए गौतम गंभीर के नाम पर भी विचार किया गया लेकिन चयनकर्ताओं ने बाद में स्मिथ को चुना। आस्ट्रेलियाई कप्तान पोंटिंग को नंबर तीन के लिए शास्त्री और स्मिथ के वोट मिले हालांकि बिशप दक्षिण अफ्रीकी हाशिम अमला को इस नंबर पर चाहते थे। इसमें कहा गया है कि पोंटिंग नंबर तीन पर बल्लेबाजी करने के अलावा दूसरी स्लिप पर क्षेत्ररक्षण भी करेंगे।
तेंदुलकर को चौथे नंबर पर उतारने के लिए शास्त्री और स्मिथ का समर्थन मिला लेकिन बिशप इस स्थान के लिए दक्षिण अफ्रीकी एबी डीविलियर्स को चाहते थे। पीटरसन को नंबर पांच पर सर्वसम्मति से चुना गया हालांकि श्रीलंकाई महेला जयवर्धने भी इस स्थान के प्रबल दावेदार थे। चंद्रपाल को नंबर छह और धौनी को विकेटकीपर और नंबर सात बल्लेबाज के रूप में चुनने पर किसी को आपत्ति नहीं थी। बिशप और शास्त्री ने धोनी को कप्तान के रूप में चुना जबकि स्मिथ यह जिम्मेदारी दक्षिण अफ्रीकी ग्रीम स्मिथ को सौंपना चाहते थे।
हरभजन के मामले में समन्यवक के मत का सहारा लेना पड़ा क्योंकि तीनों चयनकर्ताओं के अलग-अलग मत थे। स्मिथ ने हरभजन को चुना जबकि बिशप ने अजंथा मेंडिस और शास्त्री ने श्रीलंका के अन्य स्पिनर मुथैया मुरलीधरन का पक्ष लिया। मिशेल जॉनसन टीम में जगह बनाने में सफल रहे हालांकि शास्त्री एक अन्य आस्ट्रेलियाई ब्रेट ली के पक्ष में थे। स्टेन के चयन में ऐसी कोई दिक्कत नहीं आई। हरभजन की तरह जहीर के मामले में तीनों चयनकर्ताओं की पसंद अलग-अलग थी। शास्त्री ने जहीर को चुना जबकि स्मिथ की पसंद इंग्लैंड के रेयान साइडबाटम और बिशप की ईशांत शर्मा थे।
वर्ष 2008 के लिए विजडन की टेस्ट एकादश इस प्रकार है-
वीरेंद्र सहवाग, ग्रीम स्मिथ, रिकी पोंटिंग, सचिन तेंदुलकर, केविन पीटरसन, शिवनारायण चंद्रपाल, महेंद्र सिंह धौनी [कप्तान], हरभजन सिंह, मिशेल जॉनसन, डेल स्टेन और जहीर खान।

(source: Dainik Jagran)